पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग जून 1
“आए दिन हम बुराई के कामों की खबर सुनते रहते हैं। [हाल ही में हुई किसी ऐसी घटना का ज़िक्र कीजिए जिससे आपके इलाके के लोग वाकिफ हों।] क्या आपको लगता है कि लोगों से बुरे काम करवाने के पीछे किसी अनदेखी, दुष्ट शक्ति का हाथ है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर प्रकाशितवाक्य 12:12 पढ़िए।] यह पत्रिका समझाती है कि हम खुद को इस दुष्ट शक्ति से कैसे बचा सकते हैं।”
सजग होइए! अप्रै.-जून
“चिकित्सा विज्ञान ने बीमारियों से लड़ने में कमाल की तरक्की की है। लेकिन क्या आपको लगता है हम कभी ऐसी दुनिया देख पाएँगे जहाँ एक भी बीमारी नहीं रहेगी? [जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका समझाती है कि एक दिन, धरती पर सभी इंसान इस वादे के मुताबिक पूरी तरह तंदुरुस्त हो जाएँगे।” यशायाह 33:24 पढ़िए।
प्रहरीदुर्ग जुला. 1
“क्या आपने कभी सोचा है कि लोगों के साथ जाति, देश या भाषा को लेकर बदसलूकी क्यों की जाती है? [जवाब के लिए रुकिए।] गौर कीजिए कि यहाँ इसकी क्या वजह बतायी गयी है। [1 यूहन्ना 4:20 पढ़िए।] यह पत्रिका इस सवाल का जवाब देती है कि क्या जाति-जाति के लोगों के बीच कभी एकता होगी?”
सजग होइए! जुला.-सितं.
“दुनिया के बहुत-से देशों में लोगों को लगता है कि नैतिकता का पतन होता जा रहा है। इस बारे में आपकी क्या राय है? [जवाब के लिए रुकिए।] आज चारों तरफ जो हालात दिखायी दे रहे हैं, दरअसल इस बारे में प्राचीन समय में भविष्यवाणी की गयी थी। [2 तीमुथियुस 3:2-4 पढ़िए।] यह पत्रिका बताती है कि नैतिकता का पतन, किस बात की तरफ इशारा करता है और इंसान का आखिर में क्या होगा।”