पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग अप्रैल से जून
यह पत्रिका सिर्फ उन्हें दीजिए जो यीशु का आदर करते हैं। “बच्चों को अकसर अपने माता-पिता की बात मानना मुश्किल लगता है। क्या इस मामले में यीशु की मिसाल उनकी मदद कर सकती है? [जवाब के लिए रुकिए, फिर लूका 2:51 पढ़िए।] जब यीशु इस धरती पर था, तो उसने अपने माता-पिता की आज्ञा मानी। यह लेख बताता है कि हम कैसे उसकी मिसाल पर चलकर आज्ञा माननेवाले बन सकते हैं।” पेज 30 पर दिया लेख दिखाइए।
सजग होइए! अप्रैल से जून
“आपको क्या लगता है, आज के ज़माने के उपकरण, बच्चों के लिए फायदेमंद हैं या नुकसान पहुँचानेवाले? क्या बच्चे हमेशा बुद्धिमानी से इन चीज़ों का सही इस्तेमाल कर पाएँगे? [जवाब के लिए रुकिए।] क्या मैं इस बारे में आपको परमेश्वर की राय पढ़कर सुना सकता हूँ? [अगर घर-मालिक दिलचस्पी दिखाता है, तो नीतिवचन 22:15 पढ़िए।] इस लेख में बताया गया है कि हम किस तरह बच्चों की मदद कर सकते हैं।” पेज 14 पर दिया लेख दिखाइए।
प्रहरीदुर्ग जुलाई से सितंबर
“क्या आपको लगता है कि इस दुनिया की सारी दुख-तकलीफें एक-न-एक दिन खत्म हो जाएँगी?” [जवाब के लिए रुकिए।] परमेश्वर ने कुछ वादा किया है जिससे हम इसकी उम्मीद कर सकते हैं। क्या उनमें से एक वादा मैं आपको पढ़कर सुना सकता हूँ? [अगर घर-मालिक दिलचस्पी दिखाता है, तो पेज 7 पर दिए आयतों में से कोई एक आयत पढ़कर सुनाइए।] यह पत्रिका हमें यह जानने में मदद करती है कि परमेश्वर कब और कैसे सारे दुखों का अंत कर देगा।
सजग होइए! जुलाई से सितंबर
“आज की दुनिया में तलाक देना बहुत आम बात है। क्या आपको लगता है कि कोई भी शादीशुदा जोड़ा तलाक लेने से पहले तलाक से जुड़े कुछ गंभीर मुद्दों पर गौर करता है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर घर-मालिक से आयत पढ़ने की इजाज़त लीजिए। अगर वह हाँ कहे, तो नीतिवचन 14:15 पढ़िए।] यह पत्रिका ऐसे चार ज़रूरी मुद्दों के बारे में बताती है, जिन पर शादीशुदा जोड़ों को तलाक लेने के पहले सोचना चाहिए।”