प्रचार करने से पीछे मत हटिए
1. किस बात के लिए हिम्मत की ज़रूरत पड़ती है और क्यों?
क्या आप कभी इस डर से स्कूल में गवाही देने से पीछे हटे हैं कि लोग आपका मज़ाक उड़ाएँगे? स्कूल में गवाही देने के लिए वाकई हिम्मत की ज़रूरत पड़ती है, खासकर अगर आप शर्मीले किस्म के हों। हिम्मत से गवाही देने में क्या बात आपकी मदद कर सकती है?
2. स्कूल में गवाही देने के लिए आप कैसे सूझ-बूझ से काम ले सकते हैं?
2 सूझ-बूझ से काम लीजिए: यह सच है कि आप स्कूल को अपना प्रचार इलाका समझ सकते हैं, मगर याद रखिए कि आपको हर किसी से आध्यात्मिक बातों पर चर्चा करने की ज़रूरत नहीं, जैसा कि आप घर-घर प्रचार में करते हैं। सूझ-बूझ से तय कीजिए कि आप किन मौकों पर बात करेंगे। (सभो. 3:1, 7) हो सकता है, क्लास में चर्चा के लिए कोई ऐसा विषय दिया जाए या ऐसा प्रोजैक्ट मिले, जो आपको अपने विश्वास के बारे में बताने का मौका दे। या फिर कोई विद्यार्थी आपसे शायद पूछे कि आप फलाँ कार्यक्रम में हिस्सा क्यों नहीं लेते। कुछ बच्चे स्कूल का नया साल शुरू होते ही अपनी टीचर को बता देते हैं कि वे यहोवा के साक्षी हैं और कुछ साहित्य देते हैं जो हमारे विश्वास के बारे में बताते हैं। कुछ और बच्चे अपनी मेज़ पर हमारी किताबें या पत्रिकाएँ रखते हैं, ताकि दूसरे उन्हें देखकर कुछ सवाल पूछें।
3. आप स्कूल में गवाही देने की तैयारी कैसे कर सकते हैं?
3 तैयारी कीजिए: पहले से तैयारी करने से आत्म-विश्वास बढ़ता है। (1 पत. 3:15) इसलिए सोचिए कि दूसरे आपसे आपके विश्वास के बारे में क्या सवाल पूछ सकते हैं और उनके जवाब देने की तैयारी कीजिए। (नीति. 15:28) मुमकिन हो तो अपने साथ बाइबल और दूसरे साहित्य जैसे रीज़निंग किताब, युवाओं के प्रश्न किताब या सृष्टि का सबूत देनेवाली दूसरी किताबें-पत्रिकाएँ रखिए ताकि जरूरत पड़ने पर आप उनका इस्तेमाल कर सकें। अपने माता-पिता से कहिए कि वे पारिवारिक उपासना की शाम को आपके साथ अभ्यास करें ताकि आप स्कूल में अच्छी गवाही दे सकें।
4. आपको स्कूल में गवाही देने का काम क्यों जारी रखना चाहिए?
4 उम्मीद कायम रखिए: ऐसा मत सोचिए कि जब भी आप सच्चाई के बारे में दूसरे विद्यार्थियों से बात करेंगे तो वे आपका मज़ाक उड़ाएँगे। कुछ लोग शायद आपकी हिम्मत की दाद दें और सुनने के लिए राज़ी भी हो जाएँ। लेकिन अगर कोई आपकी नहीं भी सुनता, तो निराश मत होइए। यहोवा इस बात से खुश होगा कि आपने कम-से-कम कोशिश तो की। (इब्रा. 13:15, 16) आप “पूरी तरह निडर होकर” यहोवा का वचन सुनाने के लिए उससे मदद माँगते रहिए। (प्रेषि. 4:29; 2 तीमु. 1:7, 8) सोचिए कि आपको कितनी खुशी होगी जब कोई आपका संदेश सुनेगा। हो सकता है, आगे चलकर वह यहोवा का एक सेवक भी बन जाए।