चुप रहने के बजाय हौसला-अफज़ाई कीजिए
1. प्रचार में दूसरों के साथ काम करते वक्त, कैसे हम प्रेषित पौलुस जैसा रवैया दिखा सकते हैं?
1 प्रेषित पौलुस संगी मसीहियों के साथ जो वक्त बिताता था, उसे वह ‘एक-दूसरे का हौसला बढ़ाने’ का मौका समझता था। (रोमि. 1:12) जब आप प्रचार में दूसरे प्रचारक के साथ होते हैं, तब क्या आप मौके का फायदा उठाकर उसकी मदद और हौसला-अफज़ाई करते हैं? प्रचार के दौरान चुप रहने के बजाय, क्यों न आप उन बातों पर चर्चा करें जिनसे आपको असरदार प्रचारक बनने में मदद मिली?
2. अपने प्रचारक साथी में आत्म-विश्वास बढ़ाने के लिए हम क्या कर सकते हैं और यह क्यों ज़रूरी है?
2 आत्म-विश्वास बढ़ाइए: कुछ प्रचारकों में आत्म-विश्वास की कमी होती है और यह उनके चेहरे के हाव-भाव या बातचीत के लहज़े से पता चलता है। हम ऐसे लोगों की दिल से तारीफ कर सकते हैं, जिससे उनका आत्म-विश्वास बढ़े। दूसरे किन तरीकों से हम उनका आत्म-विश्वास जगा सकते हैं? एक सफरी निगरान खुलकर अपने प्रचारक साथी को बताता है कि कैसे उसने अपने डर पर काबू पाया और किस तरह वह इन भावनाओं का सामना करने के लिए हर बार प्रार्थना में मदद माँगता है। एक दूसरा भाई बताता है कि किस तरह उसे आत्म-विश्वास के साथ बात करने में मदद मिली, वह कहता है: “मैं बातचीत की शुरूआत एक मुसकराहट से करता हूँ। इसके लिए भी कभी-कभी मुझे प्रार्थना में मदद माँगनी पड़ती है।” क्या ऐसी कोई बात है जिससे आपको प्रचार में आत्म-विश्वास के साथ बात करने में मदद मिली? क्यों न आप इसे अपने प्रचारक साथी के साथ बाँटे?
3. हम अपने प्रचारक साथी के साथ किन विषयों पर बात कर सकते हैं, ताकि उसे प्रचार में और असरदार बनने में मदद मिल सके?
3 अलग-अलग तरीकों के बारे में बात कीजिए: क्या आपने पाया है कि बातचीत शुरू करने के लिए एक साधारण वाक्य कहना या एक सवाल पूछना या फिर इलाके में घटी किसी घटना का ज़िक्र करना असरदार होता है? क्या आपने पेशकश के नमूने में कोई फेरबदल की है, जिससे सुननेवालों को अपनापन महसूस हुआ हो और आपको उसके कुछ अनुभव मिले हों? आपने किस तरह घर-मालिक के हालात के मुताबिक अपनी पेशकश को ढाला है? इस बारे में अपने प्रचारक साथी को बताइए। (नीति. 27:17) वापसी भेंट पर साथ जाते वक्त, आप भेंट के मकसद के बारे में बात कर सकते हैं और उसे कैसे हासिल किया जा सकता है उस बारे में योजना बना सकते हैं। बाइबल अध्ययन खत्म करने के बाद आप बता सकते हैं कि विद्यार्थी की ज़रूरत को ध्यान में रखकर, क्यों आपने फलाँ मुद्दे पर बात की या वह आयत चुनी या फिर सिखाने का वह तरीका अपनाया।
4. अपने संगी प्रचारकों की मदद करने में हमें क्यों दिलचस्पी लेनी चाहिए?
4 पहली सदी के प्रचारक सिर्फ अविश्वासियों की मदद करने में दिलचस्पी नहीं लेते थे, बल्कि वे भाइयों की हिम्मत बँधाने और उन्हें मज़बूत करने की अहमियत भी समझते थे। (प्रेषि. 11:23; 15:32) प्रेषित पौलुस ने जवान तीमुथियुस को तालीम दी और सीखी बातों को दूसरों को बताने का बढ़ावा भी दिया। (2 तीमु. 2:2) जब हम प्रचार में संगी मसीहियों की भलाई करना नहीं भूलते, तो इससे न सिर्फ हमारी खुशी बढ़ती है, बल्कि हम और असरदार बनते हैं साथ ही, स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता को खुश कर पाते हैं।—इब्रा. 13:15, 16.