घर-घर प्रचार करते वक्त अच्छा सहायक बनिए
1. प्रचार में किसी के साथ काम करने से क्या फायदे होते हैं?
एक मौके पर, यीशु ने सत्तर चेलों को प्रचार करने भेजा और उसने ‘उन्हें दो-दो की जोड़ियों में भेजा।’ (लूका 10:1) इसमें कोई शक नहीं कि इस इंतज़ाम से उसके चेलों को प्रचार करते वक्त, एक-दूसरे की मदद करने और हौसला बढ़ाने का मौका मिला। जब हम किसी दूसरे प्रचारक के साथ प्रचार में जाते हैं, तब हम कैसे उनकी मदद कर सकते हैं?
2. प्रचार में जब हमारा साथी अपनी बात कह रहा होता है, तो हमें किस तरह उसकी बात ध्यान से सुननी चाहिए और क्यों?
2 सुनने से: प्रचार में जब आपका साथी अपनी बात पेश करता है, तो ध्यान से उसे सुनिए। (याकू. 1:19) अगर वह कोई आयत पढ़ता है, तो आप भी अपनी बाइबल में वह आयत खोलिए। जो व्यक्ति बात कर रहा है, चाहे वह आपका साथी हो या घर-मालिक, उसकी तरफ देखिए। अगर आप बातचीत पर पूरा ध्यान देंगे तो घर-मालिक को बढ़ावा मिलेगा कि वह भी ऐसा ही करे। साथ ही, जब आप ऐसे इलाके में प्रचार करते हैं जहाँ हमारे काम का विरोध किया जाता है, तो आप अपने आस-पास नज़र रख सकते हैं, ताकि अगर कोई विरोधी भीड़ इकट्ठी करता है तो आप अपने साथी को खबरदार कर सकें और दोनों फौरन ही वह इलाका छोड़ सकें।
3. कब हमारे बोलने से हमारे साथी को बुरा नहीं लगेगा?
3 समझने की कोशिश कीजिए कि आपको कब बोलना है: जब हमारा साथी घर-मालिक से बात कर रहा होता है, तो अगर हम उसे ही बातचीत जारी रखने देते हैं तो हम उसे आदर दिखा रहे होते हैं। (रोमि. 12:10) हमें बीच में दखल नहीं देना चाहिए। अगर हमारा साथी भूल जाता है कि वह क्या बोलना चाहता है या अगर घर-मालिक कोई एतराज़ जताता है या कोई सवाल खड़ा करता है और हमारा साथी हमारी मदद माँगता है, तो ऐसे में हमें चाहिए कि हमारा साथी जिस विषय पर बात कर रहा था, उसी विषय पर बात जारी रखें, न कि एक नए विषय पर बात शुरू करें। (नीति. 16:23; सभो. 3:1, 7) अगर हम कुछ बोलते हैं, तो हमारी बातें ऐसी होनी चाहिए जिनसे गवाही देने में मदद मिले।—1 कुरिं. 14:8.
4. प्रचार में खुशी और कामयाबी पाने में क्या बात हमारी मदद करेगी?
4 यीशु ने अपने सत्तर चेलों को दो-दो करके प्रचार के लिए भेजा। जब उन चेलों ने प्रचार काम खत्म किया तो वे “बड़े आनंद के साथ लौटे।” (लूका 10:17) हमें भी प्रचार काम में खुशी और कामयाबी मिलेगी अगर हम अपने साथी की मदद करने के लिए उसकी बात ध्यान से सुनेंगे और यह समझने की कोशिश करेंगे कि हमें कब बोलना है।