मिलते-जुलते लेख km 3/93 पेज 1 कहते रहिए: “आ!” परमेश्वर की उपासना करें और यहोवा के करीब आओ किताबों का अध्ययन करना हमारी राज-सेवा—2006 यहोवा की सेवा में हर्ष पाना हमारी राज-सेवा—1994 प्रकाशितवाक्य पराकाष्ठा पुस्तक का फिर से अध्ययन करना हमारी राज-सेवा—1994 प्रतिक्रिया प्राप्त करनेवाले प्रस्तुतीकरण हमारी राज-सेवा—1992 ज़्यादा दिलचस्पी प्रेरित करने में मैं क्या कह सकता हूँ? हमारी राज-सेवा—1992 “जो कोई सुने, वह कहे: ‘आ!’” प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1991 अभी ‘अपने सृजनहार को स्मरण रखने’ के लिए युवाओं को मदद देना हमारी राज-सेवा—1995 वह संदेश जिसका ऐलान हमें हर हाल में करना चाहिए परमेश्वर की सेवा स्कूल से फायदा उठाइए अत्यावश्यकता की भावना के साथ सुसमाचार प्रस्तुत करना हमारी राज-सेवा—1997 धन्य है वह जो प्रकाशितवाक्य के वचन को पढ़ता है प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1999