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सत्य को गवाही दो

यीशु ने स्पष्ट किया कि वे सत्य को गवाही देने के लिए संसार में आए थे। उन्होंने घोषणा की: “मैं ने इस लिये जन्म लिया, और इसलिये जगत में आया हूँ, कि मैं सत्य पर गवाही दूँ।”—यूहन्‍ना १८:३७.

२ अपने उत्साही प्रचार के द्वारा यीशु ने यहोवा के नाम की प्रतिष्ठा की। साथ ही, उनके दुःखी आत्मिक दशा की पहचान में उन्होंने लोगों के लिए असली प्रेम दिखाया। उनके कार्य के बारे में मत्ती ने लिखा: “और यीशु सब नगरों और गावों के दौरे पर चल पड़े, उन की सभाओं में उपदेश करते, और राज्य का सुसमाचार प्रचार करते . . . भीड़ को देखने पर उन्हें लोगों पर तरस आया, क्योंकि वे उन भेंड़ों की नाईं जिनका कोई चरवाहा न हो, ब्याकुल और भटके हुए से थे।” (मत्ती ९:३५, ३६) यीशु की तरह, यहोवा के प्रति हमारी भक्‍ति और साथ ही दूसरों के लिए हमारे प्रेम को हमे प्रचार करने के लिए उत्तेजित करने चाहिये।

हमारी आवश्‍यक नियुक्‍ति

३ लोगों और यहोवा के लिए असली प्रेम हमें प्रेरित करता हैं कि हम यहोवा और उनके अद्‌भुत कामों के बारे में लोगों को सिखाने के लिए हर अवसर का लाभ उठाये। (भजन ९६:२, ३; १४५:१०-१३) परन्तु दैनिक जीवन के दबाव, जीवन की चिन्ताओं, और भरपूर मात्रा में उपलब्द विकर्षणों सरलता से हमें हमारे गवाही देने के कार्य से हटा सकते हैं। अतः यह आवश्‍यक है कि परमेश्‍वर और उनके राज्य के बारे में सत्य को गवाही देने के काम की ज़रूरत को हम ध्यान में रखे। हमें अपने आप को इस अत्यावश्‍यक जीवन-रक्षक काम से, जिसे करने के लिए हमें सौंपा गया हैं, अपने आप को घुमराह किये जाने की अनुमति नहीं देनी चाहिये। (मत्ती २४:१४; २८:१९, २०) यहोवा की सेवा में व्यस्त रहना हमारे लिए रक्षादायक हैं, और जिन लोगों को सत्य का सन्देश सुनने की आवश्‍यकता हैं उनके लिए वह स्थायी लाभ ला सकती हैं।—१ कुरि. १५:५८.

४ क्या आप एक नियमित अथवा सहायक पायनियर के नाते सेवा कर सकते हैं? क्यों नहीं आप अपनी परिस्थितियों पर विचार करें यह देखने के लिए कि क्या आप इस रीति से अपनी सेवा को बड़ा सकते हैं। क्या आप संसारी नौकरी से अवकाश प्राप्त किये हुए है? क्यों नहीं आप प्रचार कार्य में अपने समय का अधिक पूर्ण रूप से उपयोग करें? अनेक युवाओं ने, स्कूल में पढ़ते हुए भी, नियमित रीति से सहायक पायनियरींग किया है। इन्होंने इसे हृदय को आनन्द देते हुए, दोनों आत्मिक और शारीरिक रीति से ताज़गीदायक पाया हैं।

५ प्रभावकारी रीति से सत्य को गवाही देने के लिए कुशलता से हमारे समय का आयोजन करना आवश्‍यक हैं। (इफि. ५:१५, १६) सहायक पायनियरींग के लिए महीने के दौरान दिन में औसत मात्र दो घंटों की आवश्‍यकता हैं। कुछेक एक घंटा जल्दी उठना पसंद करते हैं जिस से कि वे स्कूल अथवा नौकरी पर जाने से पहिले सेवा में निकल सकते हैं। कई कलीसियाओं ने संध्या-गवाही का प्रबन्ध करके सहायक पायनियरों की मदद की है। अन्य लोग जो सहायक पायनियरींग करने के लिए अपने समय का कार्यक्रम बनाने में सफल हुए हैं उनके साथ बात करने से भी शायद आप उकसाये जाएंगे और उपयोगी सुझाव प्राप्त कर सकेंगे।

६ यहोवा परमेश्‍वर ने हमेशा अपने सेवकों के प्रति भलाई दिखाई हैं। जो विश्‍वासयोग्य रीति से उनकी सेवा करते हैं उन्हों ने हमेशा बड़ी अधिक मात्रा में आशीर्वाद प्राप्त किया हैं। जो उनसे प्रेम रखते हैं उनके प्रति यहोवा की भलाई अब भी दिखाई जा रही हैं। जैसे जैसे हम सत्य को गवाही देते हैं, हमारी परिस्थितियों जो कुछ भी हमें करने की अनुमति देते हैं उसे स्वीकार करने के लिए वे खुश हैं।—इब्रा ६:१०.

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