पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग जन. 15
“हम सभी अपने और अपने बच्चों के लिए एक बेहतर ज़िंदगी की तमन्ना करते हैं। मगर बहुतों को लगता है कि ऐसी ज़िंदगी हासिल करना हमारे बस में नहीं। क्या आपको लगता है कि हम अपना भविष्य खुद तय कर सकते हैं? [जवाब के लिए रुकिए।] बाइबल बताती है कि हम बेबस नहीं बल्कि आज हम जो चुनाव करते हैं, उन्हीं से हमारा भविष्य तय होगा और यही बात इस पत्रिका में समझायी गयी है।” व्यवस्थाविवरण 30:19 पढ़िए।
सजग होइए! जन.-मार्च
“आज दुनिया में एक-दूसरे से आगे निकलने की ऐसी होड़ लगी हुई है कि बच्चों के दिल में नाकाम होने का डर बैठ गया है। आपकी राय में, क्या बात बच्चों को ऐसी भावना पर काबू पाने में मदद देगी? [जवाब के लिए रुकिए और फिर नीतिवचन 12:25 पढ़िए।] इस लेख में बताया गया है कि बच्चे कैसे नाकामी की भावना का सामना करते हुए ज़िंदगी में आगे बढ़ सकते हैं।”
प्रहरीदुर्ग फर. 1
“क्या हम इस बात से दुःखी नहीं होते कि आज न जाने कितने लोग ज़ुल्म और हिंसा के शिकार हो रहे हैं? [आपके इलाके में हुई हाल की किसी घटना का ज़िक्र कीजिए और जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका बताती है कि परमेश्वर इंसान की ज़िंदगी को किस नज़र से देखता है। इसमें यह भी समझाया गया है कि वह कैसे हमें आज की दुःख-तकलीफों से छुटकारा दिलाएगा।” भजन 72:12-14 पढ़िए।
सजग होइए! जन.-मार्च
“आँखों की रोशनी, परमेश्वर की तरफ से एक बेहतरीन तोहफा है। फिर भी, ग्लाउकोमा के शिकार कई लोगों को यह डर सताता है कि कहीं निगाहों का यह चोर उनकी आँखों की रोशनी न चुरा ले। यह लेख बताता है कि शुरू में ही आँखों की इस बीमारी का पता लगाने और उससे निपटने के लिए हम क्या कदम उठा सकते हैं।”