पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग जन. 1
“क्या आप मानते हैं कि इस धरती पर कभी न्याय की जीत होगी? [जवाब के लिए रुकिए और फिर लूका 18:7 पढ़िए। पेज 17 पर दिया लेख दिखाइए।] यह लेख समझाता कि परमेश्वर ज़रूर न्याय चुकाएगा।”
सजग होइए! जन.-मार्च
“कुछ लोगों को लगता है कि जो कुछ भी होता है, उसके लिए परमेश्वर ज़िम्मेदार है। जब किसी आफत का कहर टूटता है, तो वे कहते हैं कि परमेश्वर ने ज़रूर किसी वाजिब कारण से यह आफत लायी होगी। इस बारे में आपकी क्या राय है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर याकूब 1:13 पढ़िए।] यह पत्रिका, बाइबल से समझाती है कि दुःख-तकलीफों की असली जड़ क्या है और इन्हें खत्म करने के लिए परमेश्वर क्या कर रहा है।”
प्रहरीदुर्ग फर. 1
“अगर सभी इस सलाह को मानकर चलें, तो क्या आपको लगता है कि यह दुनिया एक बेहतर जगह होगी? [इफिसियों 4:25 पढ़िए। फिर जवाब के लिए रुकिए।] बहुत-से लोगों का मानना है कि कुछ हालात में झूठ बोलना जायज़ है। मगर यह पत्रिका समझाती है कि हमेशा सच बोलने से क्या फायदे होते हैं।”
सजग होइए! जन.-मार्च
“आज दुनिया की जो नैतिक हालत है, उसे ध्यान में रखते हुए आप क्या सोचते हैं, क्या रोमानी प्यार शादी से पहले के सेक्स या नाजायज़ संबंध को जायज़ ठहराता है? [जवाब के लिए रुकिए और फिर 1 कुरिन्थियों 6:18 पढ़िए। पेज 18 पर दिया लेख दिखाइए।] यह लेख बताता है कि शादी से पहले के सेक्स के बारे में बाइबल क्या कहती है।”