पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग जन. 15
“पिछले कुछ सालों से कई लोगों में स्वर्गदूतों या फरिश्तों को जानने की दिलचस्पी बढ़ रही है। क्या आपने कभी सोचा है कि ये स्वर्गदूत कौन हैं और वे कैसे हमारी ज़िंदगी पर असर करते हैं? [जवाब के लिए रुकिए। फिर भजन 34:7 पढ़िए।] इस पत्रिका में बाइबल से समझाया गया है कि स्वर्गदूतों ने बीते वक्त में क्या-क्या काम किया था, आज क्या कर रहे हैं और भविष्य में क्या करनेवाले हैं।”
सजग होइए! जन.-मार्च
“आज कुदरती आफतें इंसान पर जो कहर ढा रही हैं, वह देखकर दिल दहल जाता है। [आपके इलाके के लोग जिस हादसे से वाकिफ हैं, उसकी मिसाल दीजिए।] क्या आपको लगता है कि ये आफतें आज पहले से ज़्यादा बढ़ रही हैं? [जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका इस सवाल का जवाब देती है। साथ ही, यह गम में डूबे उन लोगों को दिलासा भी देती है जिन्होंने अपने अज़ीज़ों को ऐसी आफतों में खो दिया है।” यूहन्ना 5:28, 29 पढ़िए।
प्रहरीदुर्ग फर. 1
“हम सभी को गुज़ारा करने के लिए पैसे की ज़रूरत पड़ती है। मगर आप क्या कहना चाहेंगे, क्या हमें यहाँ बताए खतरे से खुद को बचाए रखने की ज़रूरत है? [1 तीमुथियुस 6:10 पढ़िए और जवाब के लिए रुकिए।] प्रहरीदुर्ग का यह अंक हमें समझाता है कि धन-दौलत के पीछे भागने के कुछ आम फँदे क्या हैं और हम उनसे कैसे दूर रह सकते हैं।”
सजग होइए! जन.-मार्च
“आजकल ट्रैफिक जाम रोज़ की समस्या बन गयी है। आपको क्या लगता है, हम इसका सामना कैसे कर सकते हैं? [जवाब के लिए रुकिए, फिर नीतिवचन 13:16 पढ़िए।] इस पत्रिका के पेज 14 पर दिया लेख कुछ ऐसे कारगर सुझाव पेश करता है जिन पर अमल करने से हम समझ से काम ले सकेंगे।”